
घर के मंदिर में गणेश मूर्ति रखने के फायदे और सही नियम
Share
गणपति बप्पा को विघ्नहर्ता और सुख-समृद्धि के देवता माना जाता है। हिंदू परंपरा में हर शुभ कार्य की शुरुआत श्री गणेश के पूजन से होती है। घर के मंदिर में गणेश जी की मूर्ति रखने से सकारात्मक ऊर्जा, धन-धान्य और पारिवारिक सुख बढ़ता है। लेकिन वास्तु शास्त्र के अनुसार मूर्ति रखने के कुछ विशेष नियम भी बताए गए हैं। आइए जानते हैं विस्तार से।
गणेश मूर्ति रखने के फायदे
1. घर में सुख-समृद्धि आती है
गणेश जी को बुद्धि, ज्ञान और समृद्धि का देवता माना जाता है। घर में उनकी मूर्ति रखने से परिवार में आर्थिक स्थिरता आती है।
2. विघ्न-बाधाएँ दूर होती हैं
गणपति बप्पा का दूसरा नाम विघ्नहर्ता है। माना जाता है कि उनकी कृपा से जीवन में आने वाली समस्याएँ कम हो जाती हैं।
3. शिक्षा और करियर में लाभ
विद्यार्थियों और नौकरी करने वालों के लिए गणेश जी की पूजा बेहद शुभ मानी जाती है। इससे एकाग्रता बढ़ती है और सफलता मिलती है।
4. रिश्तों में प्रेम और सामंजस्य
घर में गणेश जी की मूर्ति रखने से परिवार के बीच आपसी समझ और प्रेम बढ़ता है।
गणेश मूर्ति रखने के सही नियम (वास्तु अनुसार)
✔️ मूर्ति की दिशा
-
गणेश जी की मूर्ति उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) दिशा में रखना सबसे शुभ माना जाता है।
-
पूजा घर में मूर्ति का मुख हमेशा पूर्व या पश्चिम दिशा की ओर होना चाहिए।
✔️ मूर्ति का आकार और स्वरूप
-
घर के लिए 10 से 12 इंच की मूर्ति उत्तम रहती है।
-
बैठे हुए गणेश जी (लाल रंग की मूर्ति) को घर में रखने से सुख-शांति बनी रहती है।
-
दाएँ सूंड वाली मूर्ति का पूजन विशेष नियमों से करना होता है, इसलिए घर के लिए बाएँ सूंड वाली मूर्ति बेहतर है।
✔️ मूर्ति की संख्या
-
घर में केवल एक ही गणेश मूर्ति रखनी चाहिए। एक से अधिक मूर्तियाँ रखने से विपरीत प्रभाव हो सकता है।
✔️ सामग्री का चुनाव
-
पीतल, तांबे या मिट्टी की मूर्तियाँ वास्तु अनुसार शुभ होती हैं।
-
प्लास्टिक या टूटी हुई मूर्ति नहीं रखनी चाहिए।
गणेश मूर्ति की पूजा कैसे करें?
-
रोज सुबह और शाम दीपक व धूप अर्पित करें।
-
गणेश जी को मोदक या लड्डू का भोग लगाएँ।
-
“ॐ गं गणपतये नमः” मंत्र का जाप करें।
-
मूर्ति को नियमित रूप से साफ करें।
घर में गणेश मूर्ति रखने से जुड़े वास्तु टिप्स
-
मूर्ति के सामने हमेशा स्वच्छता बनाए रखें।
-
मूर्ति के आसपास अंधेरा या गंदगी न रहे।
-
मूर्ति को सीधे फर्श पर न रखें, बल्कि लकड़ी या संगमरमर के आसन पर रखें।
-
टूटी या पुरानी मूर्ति को नदी या तालाब में विसर्जित कर देना चाहिए।