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Shri Sampoorn Mahalxmi Mahayantram Yantra
Shri Sampoorn Mahalxmi Mahayantram Yantra
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Shri Sampoorn Mahalaxmi Mahayantram Yantra
प्रकार: पवित्र यंत्र (पूजन और स्थापना हेतु)
सामग्री विकल्प: ताम्र/पीतल/भोजपत्र प्रिंट/लेमिनेटेड प्लेट (उपलब्धता अनुसार)
आकार: सामान्यतः 3×3 इंच, 6×6 इंच, 9×9 इंच (विकल्प अनुसार)
उपयोग: गृह/कार्यालय/दुकान में स्थापना, पूजन और साधना
उपयुक्त: धन, वैभव, समृद्धि और सौभाग्य की कामना रखने वाले साधकों के लिए
मुख्य विशेषताएँ
देवी लक्ष्मी के विभिन्न रूपों की शक्तियों का समन्वय माने जाने वाला सम्पूर्ण महालक्ष्मी महायंत्र।
परंपरागत ज्यामितीय आकृतियों (त्रिकोण, मंडल, अष्टदल आदि) के साथ ऊर्जा-संरेखण हेतु निर्मित।
वास्तु अनुसार पूर्व या ईशान (उत्तर-पूर्व) दिशा में स्थापना के लिए उपयुक्त।
लाभ (फायदे)
धन-समृद्धि, सौभाग्य और स्थिर आर्थिक प्रवाह आकर्षित करने में सहायक माना जाता है।
व्यापार, करियर और निवेश में सफलता के अवसर बढ़ाने में सहायक मानी जाने वाली सकारात्मक ऊर्जा को आमंत्रित करता है।
कर्ज, आर्थिक रुकावटें और दरिद्रता संबंधी बाधाओं को दूर करने में सहयोगी माना जाता है।
गृह-स्थल में शांति, सद्भाव और सकारात्मक वातावरण बनाए रखने में मदद करता है।
आत्मविश्वास, निर्णय-क्षमता और कर्म-फोकस बढ़ाने में आध्यात्मिक सहारा प्रदान करता है।
स्थापना विधि (सरल मार्गदर्शिका)
शुभ दिन: शुक्रवार, दीपावली, धनतेरस, या किसी भी शुभ मुहूर्त/रवि-पुष्य/अभिजीत मुहूर्त उपयुक्त।
शुद्धिकरण: यंत्र को गंगाजल/स्वच्छ जल से हल्का शुद्ध करें; साफ लाल/पीले कपड़े पर स्थापित करें।
दिशा: पूजन स्थल में पूर्व या ईशान कोण की ओर मुख रखते हुए रखें।
पूजन: दीपक, धूप, पुष्प, अक्षत अर्पित करें; लक्ष्मी मंत्र का 11/21 बार जाप करें (जैसे “ऊं महालक्ष्म्यै नमः”)।
नियमिता: प्रतिदिन या शुक्रवार को दीप-धूप और संक्षिप्त मंत्र-जाप से ऊर्जा सक्रिय रखें।
देखभाल और सावधानियाँ
यंत्र को हमेशा स्वच्छ, सूखे और पवित्र स्थान पर रखें।
समय-समय पर गंगाजल/इत्र/कुमकुम-अक्षत से सरल पूजन करें।
बच्चों की पहुँच से दूर और फर्श से ऊँचे, पूज्य स्थान पर स्थापित रखें।
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